Saturday, January 18, 2025
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षोडशोपचार पूजा, केदारनाथ का ऑनलाइन बुकिंग

षोडशोपचार पूजा In Kedarnath

भक्त पूर्व निर्धारित दरों पर केदारनाथ मंदिर में विभिन्न पूजा पाठ आरती भोग कर सकते हैं। केदारनाथ मंदिर में कई प्रकार के पूजा पाठ उपलब्ध हैं जिनमें से षोडशोपचार पूजा  भी एक है। YatraDham.Org पर अब आप केदारनाथ धाम के लिए षोडशोपचार पूजा का ऑनलाइन बुकिंग कर सकते है।

षोडशोपचार पूजा क्या है? 

षोडशोपचार पूजा भगवान शिव की पूजा का एक अनुष्ठान है। यह पूजा केदारनाथ के मंदिर में शाम के समय की जाती है। इस पूजा में 16 मंत्र शामिल हैं जिनका पूजा के दौरान जाप किया जाता है।

सर्वप्रथम संकल्प भक्तों के नाम से लिया जाता है। फिर मंत्रों के जाप के साथ भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। पुराणिक मंत्रों के साथ सभी 16 मंत्रों का जाप किया जाता है। फिर भगवान शिव का आशीर्वाद लिया जाता है और पूजा संपन्न होती है।

षोडशोपचार पूजा की विधि 

पारंपरिक 16 चरणों वाली पूजा को संस्कृत में षोडशोपचार पूजा कहा जाता है – षोडश का अर्थ है 16, और उपाचार का अर्थ भक्ति के साथ दी गई भेंट है। यह अनुशासन और भक्ति को बढ़ावा देने वाली आध्यात्मिक साधना (साधना) के रूप में दैनिक आधार पर काफी कम समय में एक इष्ट देव के लिए किया जा सकता है।

Shodashopchar Puja At Kedarnath

षोडशोपचार पूजा की विधि के सारे चरण इस प्रकार किये जाते है :

प्रथम उपचार

प्रथम उपचार मैं देवताओ का आवाहन किया जाता है। आवाहन का मतलब होता है देवताओ को बुलाना। इस उपचार मैं देवताओ को अपने अंग, परिवार, आयु, एवं शक्ति सहित पधारने का निमंत्रण दिया जाता है।

उनको प्राथना की जाती है की वे मूर्ति में प्रतिष्ठित होकर हमारी पूजा ग्रहण करे। इस हेतु हम संपूर्ण शरणागत भाव से देवता से प्रार्थना/ आव्हान करते है। हाथ में चंदन, अक्षत, तुलसी पत्र, और पुष्प ले। आव्हान करने के बाद देवता का नाम ले और नमः बोले और हाथ में जो है वो देवता को अर्पित करके हाथ जोड़े।

द्वितीय उपचार

इस उपचार में देवताओ को विराजमान किया जाता है। देवता विराजमान हो इसलिए उनको सुन्दर सा आसन देने की कल्पना करे। इसके साथ जिन देवताओ को फूल पसंद है उन्हें अक्षत के साथ फूल अप्रित किया जाता है। 

तृतीय उपचार

तृतीय उपचार में पद्य यानि की देवताओ के पैर धोने की विधि होती है। देवताओ के पैर धोने के लिए उन्हें जल अर्पण किया जाता है।

इस विधि के लिए देवताओ को ताम्र पात्र में रख कर देवताओ के पैर में जल अर्पित करना होता है। आचमनी यानि की छोटी सी लोटी से यह जल अप्रित किया जाता है।

चौथा उपचार

चौथा उपचार यानि की अर्ध्य उपचार।इसका मतलब होता है देवताओ के हाथ धोना। इस उपचार में आचमनी से जल लेकर उसमे चंदन एवं अक्षत के साथ देवताओ के हाथ पर चढ़ाया जाता है।

पांचवा उपचार

पांचवा उपचार है मुख प्रक्षालन उपचार। इसमें देवताओ का मुँह धुलाया जाता है। कुल्ला के लिए देवताओ को जल अर्पित किया जाता है। उसके लिए कपूर मिश्रित कल लेके देवताओ को अर्पित करना होता है। यह जल एक ताम्र पात्र में छोड़ना होता है।

छठा उपचार

इस उपचार में स्नान के लिए देवताओ को जल चढ़ाया जाता है। अगर भगवान् की मूर्ति धातु की है या पहिए शालिग्राम है तो जल चढ़ाया जाता है।

अगर मिटटी की मूरत है तो उसमे फूल एवं तुलसी पत्र चढ़ाया जाता है। उसके बाद मूर्ति को जल की कुछ छींटे दी जाती है। अगर देवता का फोटो फ्रेम है तो उसे पहले गीले कपडे से और फिर सूखे कपडे से साफ़ किया जाता है। ध्यान रहे की जो कपडा आप इस्तेमाल कर रहे हो वो स्वच्छ हो।

देवताओ के स्नान के लिए पंचामृत इस्तेमाल किया जाता है। जिसमे दही, दूध, शहद, तुलसी, एवं घी होता है। यह पांच चीज़ो को इसी क्रम में इस्तेमाल करना होता है। एक चीज़ से स्नान करवाने के बाद देवता को जल चढ़ाया जाता है। फिर दूसरी चीज़ से स्नान करवाया जाता है।

आखिर में चंदन और कपूर मिश्रित जल से स्नान करवाया जाता है। देवताओ को स्नान के लिए उष्णोदक मतलब गुनगुने पानी का इस्तेमाल किया जाता है।

सातवा उपचार

सातवे उपचार में देवताओ को वस्त्र दिए  जाते है। जिसमे देवता को कपास के दो वस्त्र अर्पित करते है। एक वस्त्र गले में अलंकार के सामान पहनाया जाता है तो दूसरा वस्त्र उनके चरणों में रखना होता है।

आठवा उपचार

इस उपचार में देवता को उपवस्त्र दिया जाता है। उपवस्त्र मतलब यग्नोपवित या जनेऊ। सिर्फ पुरुष देवताओ को ही ये दिया जाता है।

नौ से तेरहवा उपचार

नौ से तेरहवे उपचार में पंचोपचार पूजा की जाती है। इसमें देवता को गंध, पुष्प, धुप, दिप, नैवैद्य चढ़ाया जाता है।

चौदहवा उपचार

इस उपचार में देवताओ को पूरे मन से नमस्कार किया जाता है।

पन्द्रहवा उपचार

इस उपचार में देवता की परिक्रमा या प्रदक्षिणा की जाती है। अगर परिक्रमा करने की सुविधा नहीं है तो एक स्थान पर तीन बार घूम सकते है।

सोलहवा उपचार

आखरी उपचार में देवता को मंत्र पुष्पांजलि दी जाती है।मंत्र और पुष्प के साथ पूजा में कोई भूल हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा मांगी जाती है। अंत में विभूति लगाए और किसी भी पवित्र नदी के जल का प्रासन करे और प्रसाद ग्रहण करे।

षोडशोपचार पूजा का महत्व 

यह पूजा भक्तों को उनकी मनोकामनाओं को पूरा करने में मदद करती है। यह उन्हें पापों से भी मुक्ति दिलाता है और उनके जीवन से बुरी शक्तियों को दूर करता है। यह भक्तों के जीवन को प्रभावित करने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और बाधाओं को दूर करने में भी मदद करता है। यह भक्तों की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाता है और भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में मदद करता है।

यह पवित्र एवं शिवजी की प्रिय षोडशोपचार पूजा अब आप YatraDham.Org के द्वारा करवा सकते है। अगर आप केदारनाथ जा रहे है तो वह होने वाली षोडशोपचार पूजा का ऑनलाइन बुकिंग हमारी वेबसाइट पे कर सकते है। उत्तम कोटि की पूजा सामग्री तथा अनुभवी पंडित जी के ज्ञान का लाभ उठाते हुए आप बाबा केदारनाथ को प्रस्सन करने हेतु आज ही षोडशोपचार पूजा का बुकिंग करवाए। 

Click here to book षोडशोपचार पूजा at Kedarnath.

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